प्रधानमंत्री ने ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ के राष्ट्रीय शुभारंभ समारोह में मुख्य वक्तव्य दिया

प्रधानमंत्री ने ब्रह्मकुमारी संस्था की सात पहलों को आरंभ किया

प्रधानमंत्री ने ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ के राष्ट्रीय शुभारंभ समारोह में मुख्य वक्तव्य दिया


PM delivers the keynote address at the national launch ceremony of 'Azadi Ke Amrit Mahotsav se Swarnim Bharat Ke Ore'

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ के राष्ट्रीय शुभारंभ समारोह में मुख्य वक्तव्य दिया। उन्होंने ब्रह्मकुमारी संस्था की सात पहलों को भी आरंभ किया। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़लाराजस्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्रराजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोतगुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेलकेंद्रीय मंत्री श्री जी   किशन रेड्डीश्री भूपेन्द्र यादवश्री अर्जुन राम मेघवालश्री पुरुषोत्तम रुपाला एवं श्री कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे।

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव समारोहों के क्रम में ब्रह्मकुमारी संस्था का यह कार्यक्रम स्वर्णिम भारत की भावनाप्रेरणा और साधना का परिचायक है। उन्होंने कहा कि एक तरफ निजी आकांक्षाएं और सफलताएं हैंतो दूसरी तरफ राष्ट्रीय आकांक्षाएं और सफलताएं हैंजिनके बीच कोई अंतर नहीं है। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुये कहा कि राष्ट्र की प्रगति ही हमारी प्रगति है। उन्होंने कहाहमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व हैऔर राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। यह भावयह बोध ही नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है। आज देश में जो कुछ हो रहा हैउसमें सबका प्रयास शामिल है। उन्होंने कहा कि सबका साथसबका विकाससबका विश्वाससबका प्रयास देश का दिग्दर्शक मूलमंत्र बन रहा है।

नए भारत की नवोन्मेषी और प्रगतिशील नई सोच और नई दृष्टि का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहाआज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैंजिसमें भेदभाव की कोई जगह न होहम एक ऐसा समाज बना रहे हैंजो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो।

 

प्रधानमंत्री ने उपासना की भारतीय परंपरा और महिलाओं के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं।" उन्होंने भारतीय इतिहास के विभिन्न युगों में उल्लेखनीय महिलाओं के योगदान के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं और, स्वाधीनता संग्राम के दौरान, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं। कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी।


प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों में महिलाओं के प्रवेश, मातृत्व अवकाश में बढ़ोतरी, अधिक संख्या में मतदान के रूप में बेहतर राजनीतिक भागीदारी और मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व जैसे सुधार को महिलाओं के बीच नए आत्मविश्वास का प्रतीक बताया। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह आंदोलन समाज के नेतृत्व में हुआ है और देश में महिला-पुरुष के अनुपात में सुधार हुआ है।


प्रधानमंत्री ने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है।

प्रधानमंत्री ने कहा, अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं।"


प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना। उन्होंने कहा कि बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात कीअधिकारों के लिए झगड़ेजूझेसमय खपाते रहे। अधिकार की बातकुछ हद तककुछ समय के लिएकिसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जानाइस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने सभी का आह्वान करते हुए कहा, "हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा।"

प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि खराब करने की प्रवृत्ति पर दुख जताते हुए कहा, आप सभी इस बात के साक्षी रहे हैं कि भारत की छवि को धूमिल करने के लिए किस तरह अलग-अलग प्रयास चलते रहते हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत कुछ चलता रहता है। इससे हम ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि ये सिर्फ राजनीति है। ये राजनीति नहीं है, ये हमारे देश का सवाल है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ये भी हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जाने।" प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि ऐसी संस्थाएं जिनकी एक अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति है, वो दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाएं, भारत के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उनकी सच्चाई वहां के लोगों को बताएं, उन्हें जागरूक करें, ये भी हम सबका कर्त्तव्य है। उन्होंने ब्रह्मकुमारी जैसे संगठनों से मांग करते हुए कहा कि वे लोगों को भारत आने तथा देश के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करें।

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