35 सुत्रीय मुलतापी किसानी घोषणा पत्र 2022 पारित
- किसान परिवारों के बेरोजगारों को 50% आरक्षण देने तथा गैर बराबरी खत्म करने अडानी अंबानी की संपत्ति के राष्ट्रीयकरण की मांग
- मध्यप्रदेश में निकाली जाएगी एमएसपी की कानूनी गारंटी दो किसान यात्रा
- केरल की तरह सब्जियों की एमएसपी दे सरकार
- 23 -24 फरवरी 22 को श्रमिक संगठनों की अपील पर आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करने की घोषणा की गई
किसान संघर्ष समिति का 24 वां शहीद किसान स्मृति सम्मेलन किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। विशिष्ट अथिति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कॉमरेड कृष्णा मोदी ने किसानों मज़दूरों की एकजुटता को मजबूत करने की अपील की।उन्होंने कहा मुलताई आज संघर्ष और शहीदों से प्रेरणा का केंद्र बन गया है ।
डॉ सुनीलम ने कहा कि किसान आंदोलन को कुचलने के लिए 12 जनवरी 1998 को पुलिस गोलीचालन में 24 किसान शहीद हुए थे। लेकिन किसान आंदोलन आगे बढ़ता गया, फिर मन्दसौर के पुलिस गोलीचालन में 6 किसान शहीद हुए।
शहीद किसानों की प्रेरणा से 250 किसानों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति का गठन हुआ , सम्पूर्ण कर्ज़ा मुक्ति और लाभकारी मूल्य की गारन्टी का कानून बनाने का राष्ट्रव्यापी संघर्ष चला। केंद्र सरकार द्वारा 3 किसान विरोधी अध्यादेश जब थोपे गए तब संयुक्त किसान मोर्चा गठित हुआ जिसमें 550 किसान संगठनों ने 380 दिन संघर्ष कर केंद्र सरकार से संसद द्वारा पारित कानूनों को रद्द कराया।
डॉ सुनीलम ने कहा इससे स्प्ष्ट होता है कि मुलताई में हुए दमन के खिलाफ देशभर में किसानों की व्यापक गोलबन्दी हुई है। अब सरकारों को आंदोलनों पर पुलिस गोलीचालन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
किसान आंदोलन ने लोकतंत्र में लोकशक्ति की कॉर्पोरेट शक्ति और संसद पर सर्वोच्चता साबित कर दी है।
कार्यक्रम का संचालन जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के ने किया। सम्मेलन के दौरान शहीद परिवारों के परिवारजनों को सम्मानित किया गया। सम्मेलन के पूर्व सुबह 9 बजे परमंडल ग्राम में स्थित शहीद किसान स्तंभ पर तथा 10 बजे किसान स्तंभ मुलतापी में 24 शहीद किसानों एवं हाल ही में हुए किसान आंदोलन में शहीद हुए 715 किसानों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान भावपूर्ण पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा मौन रखा गया। सम्मेलन में 1 जनवरी से 12 जनवरी तक एम एस पी की गारन्टी दो यात्रा करने वाले यात्रियों को सम्मानित किया गया। सम्मेलन के दौरान 24 शहीद किसानों की स्मृति में 24 प्रतिभावान छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।
सम्मेलन की शुरुआत जगदीश दोड़के के स्वागत भाषण से हुई। 35 सुत्रीय मुलतापी किसानी घोषणा पत्र 2022 का वाचन किसान संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष कृष्णा ठाकरे एवम कृपाल सिंह सिसोदिया द्वारा किया गया। जिसके समर्थन में रीवा संभाग संयोजक इंद्रजीत सिंह शंखू,राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष रविदत्त सिंह , किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, इंदौर से किसान संघर्ष समिति के संयोजक रामस्वरूप मंत्री, प्रदेश सचिव दिनेश कुशवाह, रायसेन से प्रदेश सचिव श्रीराम सेन, ग्वालियर से प्रदेश सचिव एड रायसिंह, सिवनी से प्रदेश सचिव डॉ राजकुमार सनोडिया, संयोजक एड विश्वजीत रतौनिया, सागर से जिला अध्यक्ष अभिनय श्रीवास,रीवा से जिला महामंत्री ललित मिश्रा, ग्वालियर से जिला उपाध्यक्ष शत्रुघन यादव, छिंदवाड़ा से सतीश जैन, श्रीकांत वैष्णव दिल्ली के जन जागरण संगठन के संयोजक शशि भूषण, युवा शक्ति केशवपुरम की जिला अध्यक्ष पूजा नागर, युवा शक्ति वजीरपुर विधानसभा की जिलाध्यक्ष प्रिया, सागर से भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति युनियन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप ठाकुर, नर्मदा बचाओ आंदोलन एवं जनता श्रमिक के नेता दुर्गेश खवसे ने अपने वक्तव्य रखे। सम्मेलन में हाथ खड़े करके सर्वसम्मति से 35 सुत्रीय किसानी घोषणा पत्र 2022 पारित किया गया। जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के 550 किसान संगठनों द्वारा 380 दिन आंदोलन चलाकर 3 किसान विरोधी कानून रद्द कराने की सफलता के लिए मोर्चे से जुड़े किसान संगठनों को बधाई दी गई और सभी संगठनों से यह अपेक्षा की गई कि वे इस वर्ष एम एस पी की गारन्टी सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक संघर्ष चलाएंगे । सम्मेलन ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के किसानों को जागरूक करने तथा एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर सशक्त किसान आंदोलन खड़ा करने के लिए प्रदेश में 5 चरणों में शहीद-ऐ- आजम भगत सिंह के शहादत दिवस एवं समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया के जन्मदिवस के अवसर पर 23 मार्च 22 से प्रदेश की यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया । सम्मेलन में विशेष तौर पर केरल की तरह सब्जियों की एमएसपी तय करने, हाल ही में हुई ओलावृष्टि का मुआवजा देने, सभी नौकरियों में किसान परिवारों के बेरोजगार युवाओं को नौकरी में 50% आरक्षण देने, हर किसान परिवारों को 5000 रूपये प्रति माह की पेंशन देने, दूध खरीद की दर 10 रूपये प्रति फैट किए जाने, पंजाब की तरह मध्य प्रदेश के किसानों को सिंचाई के लिए निःशुल्क बिजली उपलब्ध कराने, आवारा पशुओं तथा जंगली जानवरों द्वारा नष्ट की गई फसलों का डेढ़ गुना मुआवजा देने, ग्रामीण क्षेत्रों में छात्र छात्राओं को निःशुल्क यातायात सुविधा उपलब्ध कराने, बिजली विभाग द्वारा किसानों पर धारा 135 और 138 के तहत दर्ज फर्जी मुकदमे रद्द करने, मनरेगा योजनांतर्गत 200 दिन के लिए 500 रूपये प्रतिदिन की मजदूरी पर ग्रामीण एवं शहरी बेरोजगारों को उपलब्ध कराने के साथ-साथ श्रमिकों पर लादे गए चार श्रमिक कोड रद्द कर 44 श्रम कानूनों को बहाल करने तथा देश में पूंजी के केंद्रीकरण एवं गैर बराबरी को कम करने के लिए अडानी-अंबानी की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करने तथा सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई।सम्मेलन ने जाति जनगणना कराने की मांग को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया तथा राज्य सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को बंद करने की नीति को किसान और गांव विरोधी बतलाते हुए कल्याणकारी राज्य होने के दावा करने वाली सरकारों से शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निभाने की मांग की।
23 -24 फरवरी को श्रमिक संगठनों की अपील पर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करने की घोषणा की गई।
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