मांग आधारित योजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ी
गौशालाओं की स्थिति दयनीय
(श्रीराम सेन सिलवानी द्वारा)
इंसान रीझ जाता है ऊपर की सफाई पर,वर्क सोने का चढ़ा है गोबर की मिठाई पर।
इस तरह से गौशालाओं का मध्यप्रदेश में काम चल रहा है। रंग रोगन करा कर के जनप्रतिनिधि उद्घाटन तो करते हैं, उद्घाटन के बाद कोई राजनेता यह नहीं देखता कि इसमें गाय मर रही है या कुत्ते खा रहे हैं।
इस तरह की बहुत दयनीय स्थिति है जबकि रोजगार गारंटी से 3500000 की गौशाला का निर्माण होता है और रोजगार गारंटी रोजगार पर आधारित योजना है। लेकिन यहां राजनेताओं और कर्मचारियों की मनमानी के चलते गौशालाओं में रोजगार गारंटी के पैसे का दुरुपयोग किया गया है। अगर इसकी सही जांच हो तो बड़े बड़े अधिकारी नंगे हो जाएंगे और जनप्रतिनिधि भी नंगे हो जाएंगे क्योंकि रोजगार पर आधारित रोजगार गारंटी योजना है।
जिन ग्रामों में गौशाला में बनाई गई क्या वाकई में काम मांगा गया है ? मजदूरों की तरफ से या बगैर मजदूरों के काम मांगने के साथ 3500000 रुपए की रोजगार गारंटी से गौशाला बनाकर निर्माण की है। इधर किचन केबिनेट पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक रामपाल जी का कहना है कि आधा अधूरा काम हुआ है, जबकि उद्घाटन तो उन्होंने ही किया है।
तब उन्होंने इस बात पर विचार नहीं किया किस गौशाला के अंदर गाय रखी जाएगी और वह खत्म होंगे और कुत्ते गायों को नाचेंगे। यह बात उन्हें समझ में नहीं आई इस तरह से बहुत सारे मामले हैं जो शासन प्रशासन की पोल खोलते हैं।
रही बात जनता की, तो हमारे देश की जनता तो बहुत धार्मिक है। वो हर धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान के बाद एक बात बिलकुल नही भूलती वो है - "गौ माता की जय" ।
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